माँ, सिर्फ़ तू ही तो है
जगाने के लिए आशा,
प्यार की नयी परिभाषा
भरती है जीवन मैं रंग,
झूम उठती हूँ मैं तेरे संग |
माँ, सिर्फ़ तू ही तो है
जगाती है मुझे नींद से,
डाँट-डाँट कर ज़ोर से
नहीं मैं सुनती कभी तेरी बात,
तंग करती हूँ तुझे दिन रात |
माँ, सिर्फ़ तू ही तो है
जो लाती है मुस्कान चेहरे पर,
हर बार मुसीबत से लड़ कर
दुखी हो जाती है तू जान कर,
जब दुखी होती हूँ मैं कहीं पर |
माँ, सिर्फ़ तू ही तो है
मेरे जीवन का एक सहारा,
जैसे साहिल को मिले किनारा
हर समय तू देती है साथ,
जब दिखे न रास्ता साफ़ |
याद है मुझे वो दिन सारे,
गिनती थी बैठ कर कितने तारे
गाने के बोल और कुछ तराने,
गाती थी संग सुर से सुर मिलाने |
नहीं हूँ तेरे पास अभी मैं,
हॉस्टिल की दुनिया में हूँ मैं
करना चाहती हूँ तुझे खुश,
लाकर दुनिया का हर सुख |
माँ, सिर्फ़ तू ही तो है,
हाँ, सिर्फ़ तू ही तो है
सबसे अलग, सबसे प्यारी,
कितनी सुंदर और निराली |
P.S- For my sweet mom, wishing you a 'HAPPY MOTHER'S DAY'.
8.5.2015
Dear Sweta,
ReplyDeleteThe style of the poem is very heart touching. I do not know how your mother feels, but I feel it a tribute to her. Your power of expression in words is wonderful.
Keep it up.
Thanks for your encouraging words!!
DeleteAmazing! :)
ReplyDelete