6 Feb 2015

#90 Sapne

सपने


आखों में लिए सपने,
कदम बढ़ाए अपने
न जाने मंज़िल कहाँ,
उसे ढूंढू यहाँ वहाँ |

क्या कभी साकार होते हैं सपने??
क्यों नही खुलेंगे द्वार अपने??
मन में उठे हर तरह के प्रश्न
भर देते हैं  नए उमंग |

सपने करते देते हैं वैचैन,
सोचते ही बीत जाता है रैन
तितली की तरह उड़ जाते,
अलग सा एहसास जगाते |

सपनो के नहीं है कोई प्रकार,
अद्भूत, अनोखे, किन्तू निराकार
उन्हे मैं समेत्टी, कभी हूँ बिखराती,
कभी उन संग झूम उठती |

सपनो की न कोई है सीमा,
ये मेरे कल के, आईना
मुझे है खुद पर विश्वास ,
पूरा करूँ सबकी आस |

सपनो से नहीं है कोई वंचित,
परिश्रम से होते सारे रास्ते ठीक
सपने दिखाते हैं भविष्य उज्वल,
उठो, बढ़ो और हो जाओ सफल |

P.S- My first hindi poem in this blog, hope u all like it..:)

5.2.2015

Sweta Sarangi


7 comments:

  1. हमारे सपने ही हमें जीवन में आगे बढ़ाते है। अच्छी कविता परंतु कुछ गलतियां हैं जो आप अगर दुबारा ध्यान से पड़ेंगी तो खुद ही ठीक करलेंगी। धन्यवाद

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    1. मैने संशोधन कर लिया है | मेरी कविता पढ़ने के लिए धन्यवाद |

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  2. Har sapno ko apni saason mein rakho
    Har Manzil ko apni bahon mein rakho.
    Har jeet ho apki..
    bas apne dhyeya ko apni nigahon mein rakhon

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