एक प्रयास
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क्यों दौड़ने को करता है मन
जब हो सामने विकल्प अनेक
भावनाओं में चल रहे मतभेद
तब सही गलत का न होता ज्ञान
भूगोल , गणित , साहित्य या विज्ञान
कैसे करूँ मैं इनका चुनाव
विचारों में हो रहे वाद-विवाद
आखिर करना तो है इनका सामना
सुप्त आत्म- विश्वास को है जगाना
निकल पड़ी अन्धकार की गहराई में
सूरज की रौशनी सी चमक
मिला मुझे एक नया सवेरा
परिश्रम से उभरता उजाला
जब चूर- चूर हुई डर की छाया
तब मुझे हुआ एक एहसास
था यह एक मेरा प्रयास !
स्वाती सडंगी
२९.०१.२०१६
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क्यों दौड़ने को करता है मन
जब हो सामने विकल्प अनेक
भावनाओं में चल रहे मतभेद
तब सही गलत का न होता ज्ञान
भूगोल , गणित , साहित्य या विज्ञान
कैसे करूँ मैं इनका चुनाव
विचारों में हो रहे वाद-विवाद
आखिर करना तो है इनका सामना
सुप्त आत्म- विश्वास को है जगाना
निकल पड़ी अन्धकार की गहराई में
सूरज की रौशनी सी चमक
मिला मुझे एक नया सवेरा
परिश्रम से उभरता उजाला
जब चूर- चूर हुई डर की छाया
तब मुझे हुआ एक एहसास
था यह एक मेरा प्रयास !
स्वाती सडंगी
२९.०१.२०१६